बुधवार, 2 दिसंबर 2020

FOR REET S ST LEVEL2 2020 जैव मंडल, खाद्य श्रृंखला व खाद्य जाल

 जैव मंडल

जैव मंडल किसे कहते हैं ?
जलमंडल स्थलमंडल वायु मंडल का वह संक्रमण क्षेत्र जहाँ आक्सीजन की उपस्थिति के कारण जीवन पाया जाता है जैव मंडल कहलाता है।

जैव मंडल के दो घटक
(1)जैविक घटक
जैविक घटक में स्वपोषी जीव जैसे
1 उत्पादक व  
2 परपोषी  जैसे प्राथमिक उपभोक्ता- 

इसके अंतर्गत उपभोक्ता को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाकारी)
द्वितीयक उपभोक्ता  (मांसाहारी)
तृतीयक उपभोक्ता  (सर्वाहारी) 


(2) अजैविक घटक
इसके अंतर्गत जल वायु मृदा आते हैं

परिस्थिति तंत्र किसे कहते हैं ?
जीवो की पर्यावरण के साथ अन्योन्य क्रिया को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं

★पारिस्थितिकी तंत्र शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग टेंसले ने किया था
★पारिस्थितिकी तंत्र के पिता ओडम को माना जाता है
★भारत में पारिस्थितिकी तंत्र के पिता डॉ राम देव मिश्रा को माना जाता है
★पारिस्थितिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अर्नेस्ट हैकल ने किया था



जैविक घटक

जैविक घटकों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है
(1)उत्पादक अर्थात स्वपोषी जीव
उत्पादक स्वपोषी जीव अरे पेड़ पौधे आदि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं इसलिए हरे पेड़ पौधों को स्वपोषी का जाता है
(2)उपभोक्ता अर्थात परपोषी जीव
उपभोक्ता तीन प्रकार के होते हैं
1 प्राथमिक उपभोक्ता प्रकृति की वे जीव जो भोजन के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर होते हैं जैसे गाय भैंस बकरी हिरण खरगोश व सभी शाकाहारी जीव
2 द्वितीयक उपभोक्ता अर्थात मांसाहारी जीव प्रकृति के वे जीव जो भोजन के लिए प्राथमिक उपभोक्ता पर निर्भर होते हैं जैसे शेर चीता भेड़िया इत्यादि सभी मांसाहारी जीव
3 तृतीयक उपभोक्ता अर्थात सर्वाहारी जीव
वे जीव जो अपने भोजन के लिए उत्पादक प्राथमिक व द्वितीयक उपभोक्ता पर निर्भर रहते हैं जैसे मनुष्य बिल्ली कुत्ता चींटी गौरैया

(3)अपघटक अर्थात जीवाणु  
अपघटक पारिस्थितिकी तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण घटक है यह जीवन जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल कार्बनिक पदार्थों में तोड़ देते हैं प्रमुख अपघटक जीवाणु तथा कवक को माना तथा कवक को माना तथा कवक को माना को माना जाता है।


खाद्य श्रृंखला

पारिस्थितिकी तंत्र में जीवो में एक दूसरे दूसरे पर निर्भरता पाई जाती है जिससे विभिन्न पोषण स्तनों को जोड़ने पर एक श्रृंखला का निर्माण होता है उसे खाद्य श्रृंखला कहते हैं
खाद्य श्रंखला के तीन प्रकार
(1)चारण खाद्य श्रृंखला
इसमें उत्पादक से शीर्ष उपभोक्ता की ओर जाने पर जीवो में कमी पाई जाती है जैसे घास हुए सांप मोर बाज सांप मोर बाज

(2)परजीवी खाद्य श्रंखला
इस खाद्य श्रंखला में उत्पादक से शीर्ष उपभोक्ता की ओर जाने पर जीवों की संख्या में वृद्धि होती है तथा जीवो का आकार छोटा होता जाता है जैसे पेड़ चिड़िया जू जीवाणु या विषाणु

(3)अपघटक खाद्य श्रंखला 

यह परिस्थिति की श्रंखला की सबसे छोटी खाद्य श्रंखला खाद्य श्रंखला होती है यह मृत कार्बनिक पदार्थों से शुरू होकर अपघटक होकर अपघटक पर समाप्त हो जाती हैं

खाद्य जाल

एक से अधिक पोषण  स्तरों से भोजन की प्राप्ति होना या छोटी-छोटी खाद्य श्रंखला का मिलकर एक जाल का निर्माण करना खाद्य जाल कहलाता है। खाद्य जाल जितना अधिक जटिल होगा पारिस्थितिकी तंत्र उतना ही स्थाई होगा।
★एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर में केवल 10 परसेंट ऊर्जा का स्थानांतरण होता है।
★एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण में 10 परसेंट ऊर्जा का ह्रास होता है इसे ऊर्जा का 10 परसेंट का नियम कहा जाता है।

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