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गुरुवार, 14 मई 2020

हड़प्पा सभ्यता / सिंधु घाटी सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता / सिंधु घाटी सभ्यता

नमस्कार पाठकों / प्रतिभागियों 
आज मैं आपके लिए सिंधु नदी घाटी सभ्यता अर्थात हड़प्पा सभ्यता की विशेषताओं के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर आया हूँ जो आपके लिए  सभी प्रतियोगी परीक्षाओ जैसे REET,RPSC GRADE 1ST, PATWAR, SSC EXAM, SOCIAL SCIENCE SECOND GRADE TEACHER, RAS के लिए वरदान साबित होगा |



सिंधु घाटी सभ्यता नामकरण :-

सिंधु घाटी सभ्यता - जॉन मार्शल
हड़प्पा सभ्यता - मार्टिमर व्हीलर
हड़प्पा संस्कृति - अर्नेस्ट मैके 
मेलुआ सभ्यता - मेसोपोटामिया से प्राप्त अभिलेखों में हड़प्पा सभ्यता को मेलुआ सभ्यता कहा है

सभ्यता के कुल खोजे गए स्थल 1500
900
भारत में व 600 पाकिस्तान में


सिंधु घाटी सभ्यता काल निर्धारण:-

                        जॉन मार्शल 3250 से 2750 ईस्वी पूर्व  

अर्नेस्ट में के के 2880 पूर्व से 250 से पूर्व
माधव स्वरूप बस 3500 से 2700 ईसवी पूर्व
मार्टिमर व्हीलर 2500 से 1500 ईस्वी पूर्व
फैयर सर्विस 2000 से 1500 इस्वी पुर्व
रेडियो कार्बन विधि सी फोर्टीन 2350 से 1750 ईशा  पूर्व जो की सर्वाधिक मान्य है
एनसीईआरटी 25०० से 18०० इस्वी पूर्व
डीपी अग्रवाल 2300  से 1780


इसको वीडियो के रूप में देखें 

सिंधु घाटी सभ्यता उद्गम

मेसोपोटामिया की सुमेरियन सभ्यता से यह एक नगरीय सभ्यता थी
ईरान में बलूचिस्तान में छोटी-छोटी ग्रामीण बस्तियों थी जो अधिक समय के बाद नगरों में परिवर्तित हो गई इन्हीं इन्हीं के लोग आगे बढ़ें व पाकिस्तान व भारत में आकर सिंधु सभ्यता  जैसी नगरी सभ्यता को विकसित किया

सिंधु घाटी सभ्यता प्रजाति

भूमध्यसागरीय या मेडिटेरियन


सिंधु घाटी सभ्यता नगर नियोजन

हड़प्पा और मोहनजोदड़ो दोनों नगरों के अपने-अपने दुर्ग थे जहां शासक वर्ग के लोग रहते थे भवन निर्माण जाल की तरह व्यवस्थित थे दरवाजे मध्य मे न होकर किनारे में खुलते थे
दरवाजे व खिड़कियां सड़क की ओर ने होकर पीछे होते थे। भवन दो मंजिलें भी थे घरों में कई कमरे रसोईघर स्नानागार व बीच में आंगन होते थे सड़के मिट्टी की होती थी जो एक दूसरे को समकोण में काटते । मकान का गंदा पानी निकासी हेतु पक्की नालियों की व्यवस्था थी इसको पत्थर से ढका जाता था जो सड़क के दोनों तरफ होती थी इन नालियों की सफाई हेतु बीच-बीच में बंद गड्ढे बने होते थे। घरो में पानी के लिए कुओं की व्यवस्था थी।

सिंधु घाटी सभ्यता कृषि

यहां के लोग बाढ़ उतर जाने पर नवंबर में गेहूं बोते थे तथा अगली बाढ आने से पहले अप्रैल में फसल काट लेते थे। कालीबंगा में कुल या आगरे के साक्ष्य मिले गेहूं जो राई मटर तेल मटर तेल व सरसों की खेती करते थे। सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय इसी सभ्यता को था कपास को यूनान सिंडन नाम से जानते थे। रंगपुर से चावल, लोथल से चावल व बाजरे, सौराष्ट्र से बाजरे, रोजदी से सरसों के साक्ष्य मिले हैं चौलिस्तान (बहावलपुर पाकिस्तान) व बनावली (फतेहाबाद हरियाणा) से खिलौना हल मिला


सिंधु घाटी सभ्यता पशुपालन

सिंधु सभ्यता के लोगों का पालतू पशु बैल गाय भैंस बकरी भेड़ सूअर गधे ऊंट बिल्ली कुत्ता थे, बंदर भालू व भारतीय गैंडा से भी परिचित थे परंतु घोड़े व शेर से परिचित नहीं थे


सिंधु घाटी सभ्यता शिल्प एवं तकनिकी ज्ञान

सिंधु सभ्यता से तांबे व टिंग को मिलाकर कांसा धातु का निर्माण करने के साक्ष्य मिले हैं। तांबे का खेतड़ी राजस्थान से आयात करते थे व टिंन अफगानिस्तान से मंगवाते थे। कांसे का काम करने वाले को कंचेरे के नाम से जाना जाता था। सूती कपड़े की बुनाई करते थे और कतई के लिए तकलियों का प्रयोग करते थे सिंधु सभ्यता के नाव के प्रमाण भी मिले हैं कुम्हार के चाक का अधिक प्रचलन था, और मृदभांड की अपनी विशेषता था।


सैन्धव सभ्यता व्यापार

पहियों से परिचित थे - मोहनजोदड़ो से मिट्टी की दो पहियों वाली खिलौना गाड़ी प्राप्त हुई है चन्हुदडो से मिट्टी की चार पहियों वाली खिलौना गाड़ी व लोथल से अल्वेस्टर पत्थर का एक बड़ा पहिया व बनावली से बैलगाड़ी के पहिए के सड़कों पर निशान प्राप्त हुए हैं।
मध्य एशिया के साथ व्यापार हेतु वाणिज्य बस्ती स्थापित की । लोथल से गोदी बाड़ा या बंदरगाह के साक्ष्य मिले हैं जो कि समुद्री व्यापार का प्रचलन की पुष्टि व्यापार का प्रचलन की पुष्टि करते हैं। मेसोपोटामिया की अभिलेखों में लिखा है कि उर नगर जो कि मैसो सभ्यता का एक नगर था कि व्यापारी मेलुआ या हड़प्पा के साथ व्यापार करते थे इन दोनों के मध्य बंदरगाह स्थल दिल मून जो फारस की खाड़ी का बहरीन तथा  मेगान या माकन जो वर्तमान में ओमान है थे।
मिस्र से हड़प्पा प्रकार की गुड़िया प्राप्त हुई है व्यापार वस्तु विनिमय पर आधारित था वस्तुओं को तोड़ने के लिए पत्थर के बाट प्रयोग में लिए जाते थे तोल की इकाई के लिए शोले के अंक में गुण का प्रयोग का प्रयोग गुण का प्रयोग का प्रयोग किया जाता था मोहनजोदड़ो से शीत का विलोम तल तल से हाथी दांत का बना पैमाना प्राप्त हुआ है ओमान से इस सभ्यता का फ्योन्स से बना बर्तन प्राप्त हुआ है सुरकोटदा से तराजू के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं


हड़प्पा सभ्यता प्रशासन

अलग-अलग विद्वानों के के अलग अलग मत है
हंटर ने जनतंत्र शासन
व्हीलर ने मध्यमवर्गीय जनतंत्र का शासन एवं धर्म की महता
स्टुअर्ट पिगट ने धार्मिक वर्ग के लोगो अर्थात पुरोहितों के हाथ शासन
अर्नेस्ट मैके ने शासन प्रतिनिधि वर्ग के पास होने
विवि स्टूबर गुलामों पर आधारित
लोकप्रिय विचार व्यापारियों का शासन बताया गया है

हड़प्पा सभ्यता का धार्मिक जीवन

स्त्री देवी की पूजा जिसके तहत मोहनजोदड़ो से प्राप्त मोर पर स्त्री देवी देवी के सिर पर पक्षी पंख फैलाए बैठा है और एक स्त्री के गर्भ से निकलता हुआ पौधा भी दर्शाया गया है वृक्षों एवं पशुओं की पूजा एक पुरुष देवता के सिर पर तीन सिंह व पद्मासन में बैठा योगी व उनके चारों ओर एक पक्ष हाथी बाघ वे गेंडा तथा आसन के नीचे एक पैसा व पैरों के पास दो हिरण विराजमान हैं। तथा अन्य एक सींग वाला गैंडा कूबड़ वाला सांड की पूजा करते थे। सिंधु सभ्यता के लोगों का पवित्र वृक्ष पीपल था हड़प्पा सभ्यता के लोगों का पवित्र पक्षी फाख्ता था मोहनजोदड़ो से प्राप्त सील पर पीपल की दो डालियों के मध्य एक देवता जिसकी पूजा यहां के लोग प्रजनन शक्ति की पूजा करते थे जिसमें लिंग वे योनि की पूजा करते थे मंदिर के अवशेष प्राप्त नहीं हुए हैं
सिंधु सभ्यता के लोगों के धार्मिक प्रतीक
ताबीज ‌‌‌ भूत प्रेत से रक्षार्थ
बेल शिव का वाहन
स्वास्तिक सूर्य की पूजा
बकरा बली हेतु
श्रिंग शिव का रूप
नाग पूजा हेतु
भैंसा देवता की विजय
युगल समाधान सती होने के रूप में देखा जाता था


सिंधु नदी घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन


समाज की इकाई परिवार थी। समाज मातृसत्तात्मक था। पुरोहित व्यापारी अधिकारी शिल्पी श्रमिक  वर्गों में विभाजित था। भोजन में सिध्व वासी शाकाहारी व मांसाहारी दोनों थे। भोजन के रूप में शाकाहारी लोग गेहूं जो मटर तिल सरसों खजूर तरबूज लिया करते थे मांसाहारी लोग सूअर बकरी मछली व गाय का मांस खाते थे। आभूषण पुरुष व महिलाएं दोनों द्वारा प्रयोग किया जाता था। मनोरंजन के साधन पासे का खेल नृत्य शिकार पशुओं की लड़ाई थी।

सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों के अंतिम संस्कार


अंतिम संस्कार सामान्य तीन प्रकार से किया जाता था
दाह संस्कार जो कि सबके जलने के बाद राख को दफनाया जाता था
पूर्ण समाधिकरण शव को भूमि में दफन किया जाता था
आंशिक समाधिकरण शव को पशु पक्षियों के खाने के बाद शेष को दफनाया जाता था जो कि एक फारसी विधि से मिलती-जुलती प्रथा थी
मृतक के सिर से संबंधित सिद्धांत
सामान्यत सेंधववासी मृतक का सिर उत्तर दिशा की तरफ रखते थे अर्पावे कालीबंगा में मृतक का सिर दक्षिण की की ओर लोकल में पूर्व की ओर वे रोपड़ में में पश्चिम की ओर सिर के प्रमाण मिले है एक कब्र में एक शव को दफनाया जाता था किसकी अपवाद स्वरूप कालीबंगा से दो गहलोत तल से तीन सब एक ही कब्र में मिले रोपड़ से मालिक के साथ कुत्ते वैलो तल से मृतक के साथ बकरे को दफनाने के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं


सिंधु सभ्यता हड़प्पा सभ्यता के पतन पर आधारित विद्वानों के मत



ऋग्वेद गार्डन साइड के अनुसार मोहनजोदड़ो से डेड मैन लाइन लाइन मैन लाइन प्राप्त हुई है जोकि आर्य इंद्र का आक्रमण को माना जाता है
एस एन राव राव व फर्निश्ड बाढ़ का प्रकोप
माधव स्वरूप बस वेल्श ने नदियों की जल धाराओं में परिवर्तन
एम आर साहनी ने भारी जल प्लावन या भुतात्विक परिवर्तन
केनेडी ने महामारी
लैंब्री कने जनसंख्या वृद्धि
जॉन मार्शल ने भूकंप के प्रशासन की शिथिलता
अमला नंद घोष आरएन स्टाइल जलवायु परिवर्तन
फायर सर्विस ने संसाधन में कमी वनों का कटाव पारिस्थितिकी असंतुलन
डीडी कोसांबी ने मोहनजोदड़ो के लोगों की आग लगाकर सामूहिक हत्या को पतन का कारण बताया है


सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि

सिंधु लिपि को बाएं से दाएं पढ़ने और इसे तमिल भाषा में परिवर्तित करने वाले विद्वान रेवरेंड हेरस है सिंधु लिपि के बारे में सर्वप्रथम विचार व्यक्त करने वाले अलेक्जेंडर कनिंघम थे जिन्होंने 1813 में इनको ब्राह्मी लिपि से संबंधित बताया सिंधु लिपि भाव चित्रात्मक पिक्टोग्राफ बुस्टोफेदम जिस में अक्षरों की संख्या 400 लेखन अक्षरों की संख्या 400 लेखन दाएं से बाएं की तरफ यह एक चित्र लेखन लिपि थी

सिंधु सभ्यता के अंत के पश्चात उदित ग्रामीणा बस्तियां



जोकर संस्कृति सिंध क्षेत्र में
कब्रिस्तान एच संस्कृति पश्चिम पंजाब में
पांडू वर्णी मृदभांड वाली संस्कृति
पूर्वी पंजाब राजस्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाल चमकदार मृदभांड वाली संस्कृति उदित हुई

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